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वैलेन्टाइन-डे

  लघुकथा , वैलेन्टाइन-डे वैलेन्टाइन-डे की पूर्व संध्या पर जनपथ-मार्केट गुलज़ार थी।रंग-बिरंगी तितलियाँ व भौंरे इतस्ततः मंडरा रहे थे।सबके मन में कल को धमाकेदार व यादगार  बनाने की कल्पनाएं थीं।सबसे ज्यादा भीड़ गिफ्ट सेंटर पर थी।उसमें भी काफी लोग कार्ड-कार्नर में तल्लीन, अपनी भावनाओं का इजहार करने वाले कार्ड की तलाश कर रहे थे।वहीं एक कोने में एक वृद्ध अपने काँपते हाथों से कलम थामे एक कार्ड पर कुछ लिखने का प्रयत्न कर रहे थे।कौतूहल भरी अनेक नजरें उन तक पहुँच रही थीं।कुछ सव्यंग मुस्कुरा भी रहे थे।पास से गुजर रहे एक युवक से रहा न गया। वह छेड़ बैठा-"किसको कार्ड भेज रहे हैं अंकल?" अंकल ने बिना झिझक कहा- "आँटी को बेटा!" "क्यों क्या वह कार्ड की ही भाषा समझती हैं?" उन्होंने उदास होते हुए लंबी साँस भरी-"हाँ बेटा वह छोटे बेटे के पास दूसरे शहर में है और मैं बड़े बेटे के साथ यहाँ।हमारी देखरेख की जिम्मेदारी का एक-एक माह का बंटवारा जो हुआ है।ऐसे में प्यार के इजहार का अब यही तरीका बचा है।" एक दूसरे से व्यंग के लिए खेलती सभी आँखें झुक चुकी थीं।क्योंकि अंकल की बातें सभ

वाग्देवी तु सरस्वती

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  बसन्त पँचमी पर विशेष वाग्देवी तु सरस्वती        @मानव विद्या-बुद्धि अधिष्ठात्री देवी  भगवती सरस्वती के  प्रादुर्भाव के कारण ही वसंत पंचमी तिथि विद्या जयंती है; जो उनकी कृपा का वरदान प्राप्त होने की पावन तिथि है। दिव्य शक्तियों को मानवीय आकृति में चित्रित करके ही उनके प्रति भावनाओं की  अभिव्यक्ति संभव है; इसी चेतना विज्ञान को  भारतीय तत्ववेत्ताओं ने  प्रत्येक दिव्य शक्ति को  मानुषी आकृति और भाव गरिमा से संजोया है, जो चेतना को देवगरिमा के समान ऊँचा उठा देती है, साधना विज्ञान का आधार यही है। माँ सरस्वती के हाथ में पुस्तक 'ज्ञान' का प्रतीक है; यह व्यक्ति की आध्यात्मिक  एवं भौतिक प्रगति के लिए  स्वाध्याय की अनिवार्यता की  प्रेरणा देती है, ज्ञान की गरिमा के लिए मन में उत्कट अभीप्सा जगाती है। कर में वीणा धारण करने वाली भगवती  वाद्य से प्रेरणा प्रदान करती है ताकि हमारे हृदय रूपी वीणा  सैदव झंकृत रहे; संगीत गायन जैसी  भावप्रवण प्रक्रिया को  अपनी प्रसुप्त सरसता सजग करने के लिए प्रयुक्त करने का अवसर मिले; हम कला प्रेमी, कला पारखी, कला के पुजारी और संरक्षक भी बनें।  मयूर अर्थात् मधुरभाष