विश्व के नाथ
विश्व के नाथ @मानव भगवान शिव ही सृष्टि के आदि देव हैं; विश्व का नाथ बनने की सामर्थ्य केवल शिव में ही है; वे सबके हैं और सब उनके। आसुरी प्रवृत्तियाँ जब चरम पर पहुंच जाती हैं, तब असुर एवं अभिमानियों का पतन होता है और दैवीय संपदा का युग आता है। यह सृष्टि चक्र है, जो चलता रहता है; शिव करुणा के सागर हैं; अपने भक्तों के लिए उनकी दया अपार है। देवाधिदेव इतने सरल हैं कि जो भी भक्त उनका पूजन-अर्चन करता है, उसको पुण्यफल की अनुभूति अवश्य कराते हैं। भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल को कण्ठ में धारण किया था और उसकी गर्मी को शाँत करने के लिए उन्होंने गंगा में स्नान किया; गंगा धरती पर आईं तो उन्होंने ही अपनी जटाओं में धारण किया था; इसीलिए गंगाजल उन्हें विशेष प्रिय है। ✒️मनोज श्रीवास्तव