यदि जीवन से है प्यार
यदि जीवन से है प्यार! यदि जीवन से है प्यार सुननी होगी धरती की सिसकी करनी होगी उसकी रक्षा स्वजीवन निमित्त। प्रकृति जीवन की संजीवनी है, भूमि माता है, उसकी रक्षा और देखभाल हर प्राणी के लिए लाभकर है। तभी तो प्रकृति और धरती के प्रति दायित्व का निर्वहन नागरिक कर्तव्य है, अतः प्रकृति के हितों की रक्षा के प्रावधानों की मजबूती अपेक्षित है। मनोज श्रीवास्तव