पावन रामनवमी पर

 पावन रामनवमी पर

मन में जो आएं और बस (रम) जाएं वही राम हैं।

"राम" शब्द का उच्चारण करते समय "रा" कहने पर मुँह खुलता है और "म" कहने पर बंद होता है।"रा" से ग्रहण और "म" से धारण करना होता है।जो ग्रहण करना और उसे धारण करना सिखाए वही "राम" है।

 राम हमारी आस्था के प्रतीक हैं।राम जन-जन के नायक हैं।राम के बाल रूप की कल्पना ही "लोक लजावन हारे" है।उनका स्वरूप ही मर्यादा,शील,त्याग-तप, उच्चादर्श, पावन-चरित्र,परमार्थ व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की झाँकी है।

अयोध्या नगरी उन्हीं राम के अस्तित्व को साकार रूप देती एक भावभूमि है,एक काव्य है,एक विचार है जो रामनीति का पोषण करती है व राजसत्ता के प्रति वैराग्य का दृष्टिकोण देती है।

 आज पावन राम नवमी पर्व के अवसर पर इसी अयोध्या की धरा पर बाल राम के विविध रूपों की आकर्षक झाँकी जो मैंने सहेजी है प्रस्तुत है-

 १- राम जन्मभूमि अस्थाई मंदिर में रामलला के निकट से दर्शन 

२-राम जन्मभूमि अस्थायी मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान रामलला

३- रामभद्र की कुल देवी के मंदिर देवकाली में शयन मुद्रा में बालक राम

४-साकेत महाविद्यालय अयोध्या की एक दीवार पर पेंटिंग 

५-बाल राम का लोकप्रिय चित्र(गूगल से)

सभी को पावन रामनवमी की अशेष बधाई!

मनोज श्रीवास्तव

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