Posts

Showing posts from November, 2022

अगहन मास अग्गम को महीना

Image
  मार्गशीर्ष मास पर विशेष अगहन मास अग्गम को महीना        @मानव कार्तिक-पुण्य-प्रवाह की  विदाई करके,  हेमंत ऋतु में विस्तरित  मार्गशीर्ष मास,  वर्ष-चक्र में अग्रगण्य,  भगवान की विभूति वाला  गौरव समेटे,  लोक अग्गम,  नक्षत्र आधारित  कालगणना वाली वैदिक गणना में प्रथम मास,  लोक वाणी अगहन  देवोत्थान का  मंगलाचरण बाँचता है।  खेतों में बीज-वपन व उनके अंकुरण का मास  कृषकों के  आनंद का साक्षी बनकर  लोक को  नवल विस्तार देता है; नई फसल नव चेतना का  अर्थ सौंपती है  जो उसकी वाणी में भी  आकार पा जाती है। सौर चंद्र गणना वाले  संवत्सर में पूर्णांक (नौ) वाला नवम मास  भगवान की विभूति है;  कार्तिक मास में तीर्थ-स्नान विधान के बाद  भगवान की विभूति-स्वरूप  मार्ग शीर्ष में प्रवेश,  अपवित्रता से  पवित्रता की ओर गमन है। राम विवाह का आनंद शीर्ष,  मार्ग शीर्ष की शुक्ल पंचमी  विवाह पंचमी रचती हैं तो शुक्ल एकादशी  ज्ञान-भक्ति-कर्म-त्रिवेणी  श्रीमद् भगवत गीता के  अवतरण की साक्षी  गीता जयंती भी है।  नव ऊर्जा से  संयुक्त होकर  चेतना के अंकुरित होते  सामर्थ्य का स्वागत करता  कालखण्ड  हाथ थाम कर चलते  जीवन और दर्शन, 

दिव्यता धारण पर्व

Image
  कार्तिक पूर्णिमा(देव दीपावाली) पर विशेष , दिव्यता धारण पर्व      @ मानव आतंक-पर्याय त्रिपुरासुर का  देवाधिदेव द्वारा वध,  भगवान विष्णु द्वारा धर्म व वेद रक्षार्थ मत्स्यावतार ग्रहण पर्व देव दीपावली है। देवों की दीपावली में,  शामिल होकर  हमारे भीतर छिपी तामसिक वृत्तियों के नाश का संदेश दीप की ज्योति  ज्ञानरूपी आलोक के  प्रसरण से देती है। प्रकाश की उपासिका  भारतीय संस्कृति में  आत्मज्योति के प्रतीक दीपक का प्रज्ज्वलन अंतस को  ज्ञानरूपी ज्योति से  आलोकित करने का  आह्वान करता है।  जगमग करते असंख्य दीप की मलिका  मनुष्य को  आत्मा के अत:करण में  दिव्यता धारण करने का  संदेश देते हैं,  यही दिव्यता  देव दीपावली का  परमानन्द है।  ~ मनोज श्रीवास्तव

जागृति महोत्सव

Image
  देवोत्थानी एकादशी पर विशेष , जागृति महोत्सव          @ मानव दस इन्द्रियों का स्वामी ग्यारहवाँ "मन" है। इसीलिए एकादशी पूजन महत्त्वपूर्ण है।  पूजन व उपवास से मन का निग्रह होता है,  निराहारी का इंद्रियादिक विषय  शांत हो जाता है। ( श्रीमद्भगवतगीता ) व्रत का अभिप्राय उपासना,  तप, अनुष्ठान,  यज्ञ,  आज्ञापालन, संकल्प,  कर्तव्य तथा विधान आदि हैं। सत्य,  अहिंसा,  अस्तेय,  ब्रह्मचर्य तथा  अपरिग्रह व्रत-संज्ञा विभूषित हैं। ( योगशास्त्र - पतंजलि )  शुद्ध आचार-विचार द्वारा नियम पूर्वक उपासना  या धार्मिक अनुष्ठान का   सम्पन्न होना व्रत है। व्रत वह नौका है  जिसके आश्रय से भवसागर पार हो सकता है। एकादशी व्रत  पाप,  तप, शाप का नाशक , पुण्य वर्धक  तथा मोक्षदायक है।      ( पद्मपुराण ) व्रत से मनुष्योत्थान होता है,  मोक्ष-प्राप्ति होती है । देवोत्थान एकादशी पर्व भगवान के जागरण के बहाने मानव में देवत्व के जागरण से दिव्यता धारण का संदेश देता है!  ~ मनोज श्रीवास्तव