अगहन मास अग्गम को महीना

 मार्गशीर्ष मास पर विशेष

अगहन मास अग्गम को महीना 



      @मानव

कार्तिक-पुण्य-प्रवाह की 

विदाई करके, 

हेमंत ऋतु में विस्तरित 

मार्गशीर्ष मास, 

वर्ष-चक्र में अग्रगण्य, 

भगवान की विभूति वाला 

गौरव समेटे, 

लोक अग्गम, 

नक्षत्र आधारित 

कालगणना वाली

वैदिक गणना में

प्रथम मास, 

लोक वाणी अगहन 

देवोत्थान का 

मंगलाचरण बाँचता है। 


खेतों में बीज-वपन

व उनके अंकुरण का मास 

कृषकों के 

आनंद का साक्षी बनकर 

लोक को 

नवल विस्तार देता है;

नई फसल

नव चेतना का 

अर्थ सौंपती है 

जो उसकी वाणी में भी 

आकार पा जाती है।


सौर चंद्र गणना वाले 

संवत्सर में

पूर्णांक (नौ) वाला नवम मास 

भगवान की विभूति है; 

कार्तिक मास में

तीर्थ-स्नान विधान के बाद 

भगवान की विभूति-स्वरूप 

मार्ग शीर्ष में प्रवेश, 

अपवित्रता से 

पवित्रता की ओर गमन है।


राम विवाह का आनंद शीर्ष, 

मार्ग शीर्ष की शुक्ल पंचमी 

विवाह पंचमी रचती हैं

तो शुक्ल एकादशी 

ज्ञान-भक्ति-कर्म-त्रिवेणी 

श्रीमद् भगवत गीता के 

अवतरण की साक्षी 

गीता जयंती भी है। 


नव ऊर्जा से 

संयुक्त होकर 

चेतना के अंकुरित होते 

सामर्थ्य का स्वागत करता 

कालखण्ड 

हाथ थाम कर चलते 

जीवन और दर्शन, 

शास्त्र और लोक की 

जीवन की सह‌जता से 

अभिन्न भारतीय चिंतन

व दर्शन का आलोक है।


वेदों में वर्णित ब्रह्म

व किसान का ब्रह्म

अन्न है

तो बीज और चेतना के

अंकुरण का मास 

मार्गशीर्ष

प्राणी जगत में 

चेतना के अंकुरण का मास है

जो स्वयं ही ब्रह्म है 

मासानां मार्गशीर्षो अहम्!

(श्रीमद्भगवत गीता) 


 ~मनोज श्रीवास्तव

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