जागृति महोत्सव
देवोत्थानी एकादशी पर विशेष,
जागृति महोत्सव
@मानव
दस इन्द्रियों का स्वामी
ग्यारहवाँ "मन" है।
इसीलिए एकादशी पूजन
महत्त्वपूर्ण है।
पूजन व उपवास से
मन का निग्रह होता है,
निराहारी का
इंद्रियादिक विषय
शांत हो जाता है।
(श्रीमद्भगवतगीता)
व्रत का अभिप्राय
उपासना,
तप,
अनुष्ठान,
यज्ञ,
आज्ञापालन,
संकल्प,
कर्तव्य
तथा
विधान आदि हैं।
सत्य,
अहिंसा,
अस्तेय,
ब्रह्मचर्य तथा
अपरिग्रह
व्रत-संज्ञा विभूषित हैं।
(योगशास्त्र - पतंजलि)
शुद्ध आचार-विचार द्वारा
नियम पूर्वक उपासना
या धार्मिक अनुष्ठान का
सम्पन्न होना व्रत है।
व्रत वह नौका है
जिसके आश्रय से
भवसागर पार हो सकता है।
एकादशी व्रत
पाप,
तप,
शाप का नाशक ,
पुण्य वर्धक
तथा मोक्षदायक है।
(पद्मपुराण)
व्रत से मनुष्योत्थान होता है,
मोक्ष-प्राप्ति होती है ।
देवोत्थान एकादशी पर्व
भगवान के जागरण के बहाने
मानव में देवत्व के जागरण से
दिव्यता धारण का संदेश देता है!
~मनोज श्रीवास्तव
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