महादेव

 (१)

वे भयंकर रौद्ररूप हैं

तो भोलेनाथ भी।

वे दुष्ट संहारक कालरूप हैं

तो दीनों के दया सिंधु भी।

वे सृष्टि रचयिता हैं

तो संहारक भी।

वे आदि हैं

तो अनन्त भी।

वे भक्तों को सुखानन्द प्रदाता हैं

तो स्वयं विरक्त भी।

लय व प्रलय

दोनों के स्वामी शिव

परस्पर विरोधी शक्तियों के मध्य

सामञ्जस्य निर्माण के

सुन्दरतम प्रतीक 

सम्पूर्ण देव हैं।

ऐसे महादेव की शरण

अभयास्थल है।


(२)

ज्ञान वैराग्य व साधुता के परमादर्श

परम कल्याणमय

समस्त विधाओं के मूलस्थान

सङ्गीत व नृत्य के आचार्य

मङ्गलों के मूल

आदि-अंत से परे अनन्त

रक्षक-पालक-नियन्ता महेश्वर

देवी-देवताओं में सम्पूर्णता के प्रतीक

महादेव!


मनोज श्रीवास्तव

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