छठ ! प्रकृति-पर्व

 छठ!

पूजा का पर्व।


ईश्वर

और आस्था के बीच

संवाद का व्रत।


न कोई ग्रँथ

न कोई मन्त्र

बस श्रध्दा और विश्वास।


न मन्दिर की जरूरत

न पण्डित की

और ना ही विग्रह की।


जहाँ

समूह ही पण्डित

समूह ही यजमान।


मूर्त शक्ति नहीं

वरन्

जीवन दाताओं की आराधना।


निसर्ग के प्रति

सामूहिक कृतज्ञता का ज्ञापन

यानी पूर्वजों का पूजा कार्य।


भारतीय जीवनदृष्टि की

सच्ची

अभिव्यक्ति।


पूर्णरूपेण

पर्यावरण मित्र का पर्व।


          ---मनोज श्रीवास्तव

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