हिजाब प्रकरण के निहितार्थ

       हिजाब प्रकरण


1-हिजाब व्यक्तिगत पसन्द है पर नारंगी दुपट्टा साम्प्रदायिक लिबास है!

तथाकथित सेक्युलरों की पाखण्डी सोच का जीवन्त प्रमाण है ये।

2-काँग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री दावेदार प्रियंका गाँधी का मत है कि बिकनी,घूँघट या हिजाब पहनना हर नारी का मौलिक अधिकार है, जिससे मैं भी सहमत हूँ।पर विश्व के जिस स्कूल/कॉलेज का ड्रेस बिकनी है प्रियंका या हिजाब समर्थक उसका नाम बताकर मुझ जैसे आम नागरिक का ज्ञान वर्धन कर सकेंगे?

3-शादी को अन्यथा बताकर शादी करने वाली मलाला यूसुफजई ने भारत के हिजाब मुद्दे में जबरदस्ती घुसते हुए राय दी कि औरत को वस्तु मानने वाले ही हिजाब का विरोध करते हैं।स्पष्ट है यह बयान अपनी बहन को बीबी बनाने वाले समाज की सोच का आईना है।

4-सन 2013 में  “I_am_Malala” पुस्तक में बुर्के को औरतों के लिए शटलकॉक में लिपटने की त्रासदी बताने वाली मलाला यूसुफजई यदि 2022 में भारत में हिजाब का समर्थन करे तो यह उसके दोगले पन का सबसे बड़ा प्रमाण है।

5-पाकिस्तानी मलाला यूसुफजई उस नॉर्वे के नोबेल को चिपकाए घूमती है जिसने अपने देश में बुर्के को बैन कर दिया;यहाँ तो उसके मुँह में दही जम जाती है पर बिना किसी अधिकार वह भारत में हिजाब की वकालत मानवता के नाम पर करने लगती है।यह एक कौम की घिनौनी मानसिकता का प्रमाण है।

 6-स्कूल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्य के अनुसार स्कूल में हिजाब पहन कर आने का विवाद शुरू करने वाली लड़कियाँ दिसंबर तक बिना हिजाब पहने स्कूल आ रही थीं।पर 2 माह में ऐसा क्या हुआ?किसके इशारे,किसके कहने व किसकी फंडिंग से हुआ?कहीं यह शाहीनबाग की वापसी का प्रयास तो नहीं?

7-इकरारनामा

जिन महिलाओं को बुर्का पहने नहीं देखा-

*कोर्ट में वकील व जस्टिस

*विधायिका सदस्य

*प्रशासनिक व पुलिस कर्मी

*विविध व्यवसायरत

*विवाह व उत्सवों में घरेलू महिलाएं

ये महिलाएं बुर्के पहनती हैं-

*पिछड़ी घरेलू

*आतंकी

*भीख माँगती

*देह बेचती 

अपनी बच्ची को क्या बनना है हम खुद सोचें।

 8-आधुनिक तुर्की के प्रतिस्थापक कमाल पाशा ने बुरका को सामान्य महिलाओं के लिए वैकल्पिक पहनावा बनाया लेकिन वेश्याओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य किया।

बस यह भी याद रखना है।🤔

~मनोज श्रीवास्तव

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