अयोध्या
अयोध्या
"श्री अयोध्या भारत की प्राचीनतम नगरी में से एक है।" यह एक आम विचार है। पर इसके इतिहास से आमजन आज भी अपरिचित है।वस्तुतः अयोध्या केवल नगरी ही नहीं भारतीयता की भावभूमि है जो राजसत्ता के प्रति वैराग्य का दृष्टिकोण देती है।अयोध्या मर्यादा, शील,त्याग-तप,मन्त्र-जप और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की श्रद्धेय धरती है।अयोध्या एक विचार है-एक काव्य है।अयोध्या को "रामनीति" बसाती है,राजनीति उजाड़ती है।
अयोध्या के इसी प्रारूप से जनमानस को परिचित कराने के लिए शासन स्तर पर प्रयास जारी है।अयोध्या में प्रवेश करते ही गुरुकुल महाविद्यालय के प्रवेश द्वार के पास लगाए गए पट पर इसी अयोध्या की प्राचीनता को प्रमाणित करते तथ्य अंकित हैं-
"भारत की गौरवशाली अध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक परम्परा का प्रतिनिधित्व करने वाली अयोध्या प्राचीन काल से ही धर्म एवं संस्कृति की परमपावन नगरी के रूप में सम्पूर्ण विश्व में विख्यात रही है। मान्यतानुसार प्राचीन अयोध्या का निर्माण महर्षि वशिष्ठ की देख-रेख में विश्वकर्मा जी की सहायता से मनु द्वारा किया गया था। प्राचीन उत्तर कोशल प्रान्त की राजधानी रही अयोध्या को त्रेतायुगीन इच्क्ष्वाकु सगर, दिलीप, रघु, अज, दशरथ आदि जैसे प्रतापी सोमवंशी राजाओं के संरक्षण का गौरव प्राप्त हुआ। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन-दर्शन से गौरवान्वित इस पावन नगरी के सत्यवादी राजा हरिशचन्द्र और सुरसरि गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने वाले राजा भगीरथ सिरमौर रहे हैं।"
शासन का यह प्रयास स्तुत्य है।
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मनोज श्रीवास्तव
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