बामपंथी भगत सिंह :सुनियोजित षड्यंत्र

 बामपंथी भगत सिंह :सुनियोजित षड्यंत्र

       ~मनोज श्रीवास्तव



भारत के अग्रगण्य क्रांतिकारी व बुद्धिजीवी सरदार भगत सिंह को एक सुनियोजित साजिश के तहत मार्क्सवादी खाँचे में बाँधने का कुत्सित व झूठा प्रयास वामपंथियों ने किया। पर भगत सिंह वस्तुतः सनातन धर्माग्रही थे। राहुल फाउंडेशन लखनऊ के मई 2019 में पुनर्मुद्रित "भगत सिंह और उनके साथियों के संपूर्ण उपलब्ध दस्तावेज"में इसके तथ्यात्मक संदर्भ आबद्ध किए गए हैं।इसके अनुसार भगत सिंह सावरकर को आदर्श क्रांतिकारी के रूप में मानते थे।कलकत्ता से प्रकाशित साप्ताहिक "मतवाला"के 15 और 29 नवंबर 1924 के अंक के एक आलेख "विश्वप्रेम" में भगत सिंह ने बलवंत सिंह के छद्म नाम से लिखा-"विश्वप्रेमी वह वीर है जिसे भीषण विप्लववादी, कट्टर अराजकतावादी कहने में हम तनिक भी लज्जा नहीं समझते-वही वीर सावरकर।विश्वप्रेम की तरंग में आकर घास पर चलते-चलते रुक जाते कि कोमल घास पैरों तले मसली जाएगी।"इन दिनों सावरकर रत्नागिरी में नजरबंद थे।

बलिदानी भगत सिंह ने "किरती" नामक प्रकाशन में मार्च 1928 से लेकर अक्टूबर 1928 तक "आजादी की भेंट शहादतें" नाम से लेख माला लिखी। इसी लेखमाला में कर्जन वायली का वध कर फाँसी चढ़ने वाले क्रांतिकारी मदन लाल धींगरा व उनके प्रणेता सावरकर के मिलन व परीक्षा का वर्णन करते हुए उन्होंने लिखा-"स्वदेशी आंदोलन का असर इंग्लैंड तक भी पहुंचा और जाते ही सावरकर ने "इंडिया हाउस" नामक सभा खोल दी। मदनलाल भी उसके सदस्य बने।एक दिन रात को सावरकर और मदनलाल देर तक मशवरा करते रहे। अपनी जान दे देने की हिम्मत दिखाने की परीक्षा में मदनलाल को जमीन पर हाथ रखने के लिए कहकर सावरकर ने हाथ पर सुआ गाड़ दिया, लेकिन पंजाबी वीर ने आह तक न भरी।सुआ निकाल लिया गया। दोनों की आँखों में आंसू भर आए।दोनों एक दूसरे के गले लग गए।आहा!वह समय कैसा सुंदरता था।वह अश्रु कितने अमूल्य और अलभ्य थे।वह मिलाप कितना सुंदर,कितना महिमामय था।" यही नहीं मदनलाल धींगरा के अदालती वक्तव्य को बड़े गर्व के साथ भगत सिंह ने पुनर्स्मरण किया जिसमें धींगरा ने कहा था-"मैं एक हिंदू के रूप में समझता हूँ कि मेरे देश के साथ किया गया अन्याय ईश्वर का अपमान है क्योंकि देश की पूजा श्री रामचंद्रजी की पूजा है और देश की सेवा श्रीकृष्ण की सेवा है।


मराठी इतिहासकार य.दि. फड़के के अनुसार,सावरकर की पुस्तक "1857-स्वातंत्र्यसमर"का अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित करने व क्रांतिकारियों में इसका प्रचार करने का कार्य भगत सिंह ने किया। सावरकर लिखित पुस्तक "हिंदूपदपादशाही"भी भगत सिंह की प्रेरणास्रोत रही जिसके अनेक उद्धरण उन्होंने अपनी जेल डायरी में अंकित किए।रत्नागिरी के सावरकर आवास पर सदा फहराने वाला भगवा भगत व साथियों के फाँसी वाले दिन काला हो गया जो दोनों के आत्मिक संबंध का परिचायक है।

सरदार भगतसिंह का अतुलनीय व आदर्श बलिदान और सशस्त्र संघर्ष समेत समाज के नव निर्माण के लिए भारतीय परिप्रेक्ष्य में उनके स्पष्ट सिद्धांत  क्रांति की नई परिभाषा गढ़ते व राष्ट्र को नवनिर्माण का सन्मार्ग दिखाते हैं।

   ~मनोज श्रीवास्तव

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