अग्निवीर के बहाने

 अग्निवीर के बहाने

प्रस्तुति- मनोज श्रीवास्तव

मेरी नजर में अग्निवीर योजना वेतन/अनुदान/वित्त पोषित एनसीसी का मुफ्त सार्टिफिकेट पाने का परिवर्धित स्वरूप है जो 16 से 25 की ही उम्र में हम पाते रहे हैं।दूसरे शब्दों में जब अग्निवीर अनिवार्य नहीं है तो यह चार साल का स्कॉलरशिप सहित हथियार चलाने, डिग्री पाने, अन्य सेवा में वरीयता के साथ देश प्रेम का जज्बा पैदा करने का एक कोर्स ही तो हुआ!

पर मुफ्त राशन, मुफ्त बिजली, मुफ्त घर, मुफ्त शौचालय, मुफ्त ऋण से मुफ्तखोरी की आदत लगाकर अगर 23 साल की उम्र में 4 साल बाद 11 लाख देकर नया काम धंधा शुरू करने का विकल्प दोगे तो वे भड़केंगे ही।स्पष्ट है यह मुद्दा स्वयं सरकार जनित ही है।

भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में प्रत्येक नागरिक को सैनिक शिक्षा दे पाना जटिल व असंभव है। पर प्रतिवर्ष 50,000 युवा नागरिकों को यह शिक्षा उपलब्ध कराकर उसी लक्ष्य को पाने के लिए प्रथम कदम के रूप में अग्निवीर योजना का स्वागत होना चाहिए।

अगर अच्छे बच्चे 17 साल की उम्र में काम पा जाएंगे और 4 साल बाद डिग्री व वित्तीय सशक्त होकर नौकरी में वरीयता का हथियार साथ ले वापस आएंगे तो बाबू की नौकरी के लिए कोचिंग कौन करेगा?जाहिर है अग्निवीर के नाम पर वितण्डा फैलाना कोचिंगों की अस्तित्व बचाने की मजबूरी है।

दूसरे सैनिक अनुशासन,डिग्री व नौकरी में वरीयता की योग्यता पाने वाला अग्निवीर आखिरकार समझदार हो जाएगा तो वोट के चयन में स्वमेधा व देशभक्ति की भावना का प्रयोग करेगा जो लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने वालों के अस्तित्व के लिए भी तो यह खतरा है।

वहीं बिगड़ने वाली उम्र में बच्चे अगर अनुशासन सीख कर वित्तीय सशक्त हो जाएंगे तो कौन चौराहेबाजी, लोफरबाजी,पत्थरबाजी,थाने की दलाली करने के लिए राजनीतिक दलों को किराए पर मिलेगा?स्पष्ट है अग्निवीर योजना से दुकान बंद हो जाने का भय ही राजनीतिक दलों के विरोध का कारण है।

पैसा देने की बजाय चार साल की ट्रेनिंग का एक कोर्स शुरू किया जाता, जिसकी फीस 5 लाख रूपया प्रति वर्ष होती, 4 साल बाद 25 प्रतिशत की सेना में भर्ती की घोषणा होती तो लोग जमीन बेंचकर एडमीशन करा रहे होते।

मुस्लिम अग्निवीरों को ISIS की ट्रेनिंग में सहायक सिद्ध करने वालों!ट्रेनिंग तो देश प्रेम की होगी। स्वाभाविक है हर घर से अब्दुल हमीद निकलने पर अफजल निकालने की मंशा रखने वाले कौमी सियासती परेशान तो होंगे ही क्योंकि उससे जुम्मे की पत्थरबाजी कमजोर पड़ जाएगी।

वर्तमान सेना को रेपिस्ट घोषित करके समाज के लिए घातक सिद्ध करने वाले बामपंथी सेना भर्ती प्रक्रिया में सुधारों का विरोध कर रहे हैं;पर किस मुँह से सोचने वाली बात है।

अग्निवीर योजना के नाम पर भाजपा कार्यालयों को निशाना बनाकर वहाँ की जा रही आगजनी यह भी सिद्ध करती है कि तथाकथित आंदोलनकारियों व उसको भड़काने वाले दलालों को असली तकलीफ अग्निवीर योजना से नहीं भाजपा से है।यानी यह बेरोजगारी का नहीं वरन् शुद्ध राजनैतिक आंदोलन है।

~मनोज श्रीवास्तव

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