रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
प्रस्तुति- मनोज श्रीवास्तव
रक्षासूत्र
अविच्छिन्नता का प्रतीक,
व्यक्ति की
स्वाधीनता को
अर्थपूर्ण बनाता है ;
रक्षा का वचन है;
प्रेम,
समर्पण,
निष्ठा
और संकल्प के साथ
हृदय को जोड़ने का भी
वचन देता है।
शचि के
वैदिक मंत्र अभिमंत्रित
रक्षासूत्र को
बृहस्पति द्वारा
इन्द्र के हाथ में बाँधकर
अभय बनाना
स्वावलम्बन से
स्वधर्म की यात्रा है।
सनातन संस्कृति में
रक्षाकवच की तरह
समाज,
धर्म,
संस्कृति
व देश के रक्षार्थ
संकल्प है।
~मनोज श्रीवास्तव
Comments
Post a Comment