सावन-रहस्य

 सावन-रहस्य


प्रस्तुति- मनोज श्रीवास्तव


(१)

श्रावण 

श्रेष्ठ,

ऊर्जावान,

तथा सृजनात्मक काल;

हर प्राणी में

नव उत्स

एवं धारणा का

संचारक;

भक्ति मार्ग की 

सर्वोत्तम अवधि;

प्रेमानुभूति का

विशेष समय 

जो शुभ है,

सुगम है, 

कल्याणकारी है,

हितबद्ध है, 

भावनानुकूल हैं,

नव संदेशवाहक है - 

"दुःखों की तपिश

अब नहीं सताएगी, 

सुखों की रिमझिम से

संसार नहा उठेगा";

यही प्रकृति-संतुलन

सावन है।


(२)

सावन का सान्निध्य 

परम सुखकारक है; 

समस्त देवलोक, 

भूलोक, 

नागलोक,

और पाताललोक 

आध्यात्ममय हो, 

आत्मानुभूति में 

डूब जाते हैं ;

देव गण 

प्रसन्न व आनन्दित हो 

दयावान हो जाते हैं;

धरा पर

प्रकृति की 

नवीन छटा

नृत्य करती है । 

यह कामना-माह है 

(वासना का नहीं)

पवित्र-कामना को

धारण कर

प्रभु का

सहज तथा सुलभ

प्रसाद ग्रहण कर

ऐश्वर्यवान और सम्पन्न 

बन सकते हैं।


~मनोज श्रीवास्तव

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