श्राद्ध
पितृपक्ष पर विशेष
श्राद्ध
@मानव
हमारे चरित्र से लेकर
सर्वांगीण विकास तक के
रचनाकार पूर्वज हैं।
परिजनों के परितः
विचरण करती आत्मा
धर्मपूर्वक मोक्ष हेतु
भावी पीढियों में
भगीरथ को खोजती है
जो उस जीवात्मा का
परमात्मा में विलय कराकर
मोक्ष प्रदान करे।
अपना उद्धार चाहने से पहले
पूर्वजों का उद्धार
हमारा दायित्व है।
सृष्टि का क्रमिक विकास,
मानवीय संस्कारों का
पीढ़ी दर पीढ़ी संरक्षण,
संसार का नियम है।
भूत, वर्तमान व भविष्य
तीनों कालों का
सही निर्वहन
धर्म कर्म की ज्योति
निरंतर प्रकाशित करके ही
संभव है ।
प्रत्येक प्राणी
पूर्वजों के विकसित रूप में
मानवीय मूल्यों के
संरक्षण हेतु
सर्वथा समर्थ है ;
यह दायित्व स्वीकारना
सभी का ध्येय है
यह मार्ग
मानवता का
सहज क्रम है।
~मनोज श्रीवास्तव
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