गीतातीत जगदम्बा

 नवरात्रि पर्व पर विशेष

गीतातीत जगदम्बा


       @मानव

एक सर्वोच्च शक्ति 

जो सर्वत्र व्याप्त है,

जगदम्बा हैं। 


जगदम्बा विश्वमोहिनी हैं

जो गर्भ में अनंत रहस्य लिए

पृथ्वी बन कर घूम रही हैं,

           (विश्वमित्र

असीम करुणा पूर्ण हैं।


जगदम्बा

प्राणियों की चेतना हैं,

माता-पिता की छत्रछाया हैं, 

नारी की लज्जा हैं,

विष्णु की महालक्ष्मी हैं,

दार्शनिकों की मेधा हैं,

राम की शक्ति हैं, 

कृष्ण की मुरली हैं, 

बुद्ध की करुणा हैं,

महावीर की क्षमा हैं।


जगदम्बा  

विश्वेश्वरी हैं;

जगद्धात्री हैं ;

देवताओं की स्फूर्ति हैं;

देवलोक का 

समग्र अनुशासन 

सुनिश्चित करती हैं;

जीवन समर में

विजयोल्लास-संचार करने वाली 

आनंद की राजेश्वरी हैं;

अकुंठित विचारणा हैं

जो अज्ञान और जड़ता के

महादैत्य का विध्वंस करने 

मनीषियों के अंतः करण से

प्रस्फुटित होती हैं।


जगदम्बा 

सत्य के सिंह पर विराजित 

त्रिलोक सुंदरी हैं;

वह आत्म शक्ति हैं

जो अपनी योगमाया से 

हमें नियंत्रित करती हैं;

उनका एक ही वैश्व नियम है-

शाश्वत प्रेम

और शाश्वत सौंदर्य;

वही उनकी क्षुधा है,

यही तृष्णा है,

यही वृत्ति है,

और यही तुष्टि है।


जगदम्बा हमारे भीतर हैं

और बाहर भी 

वे महाविद्या, 

महामाया,

महास्मृति, 

महादेवी के रूप में 

ऋषियों द्वारा विभूषित हैं।

वह स्वर हैं 

प्राणदायिनी सुधा भी!

वह कालरात्रि है, 

महारात्रि हैं,

और मोहरात्रि भी!

जगदम्बा की महिमा 

दुर्गम है, 

इसीलिए वे दुर्गा हैं।

उनकी सर्वव्याप्ति गीतातीत है 

वे जगत पूजित हैं।


~मनोज श्रीवास्तव

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