शिव-शक्ति

 नवरात्रि पर्व पर विशेष

शिव-शक्ति



      @मानव

शक्ति रूप देवी का 

गौरवपूर्ण पक्ष यही है

"वह एक ही शिव के प्रति निष्ठ हैं",

और शक्तिमान शिव ही 

उनके परम आराध्य हैं।

शक्ति जब शिव केंद्रित होती है 

तभी स्वयं भी 

पूर्णांक को प्राप्त होती है 

और साधक को भी 

व्यापक शिव में ही 

केंद्रित करती है।

शक्ति को पाने का मार्ग 

शिव है 

और शिव को प्राप्त करने का मार्ग 

शक्ति है 

वही हमारी संस्कृति का 

पूरक और विराट स्वरूप है।

नवदुर्गाओं में 

कोई विरोधी गुण ऐसा नहीं,

जिसको देवी ने स्वीकारा न हो। 

विरोधी गुणों का 

संसार के कल्याण के लिए 

उपयोग करना ही 

दुर्गा की पूर्णता है। 

वही उसका सिद्धिदात्री स्वरूप है।

वे समष्टि अहं का आश्रय हैं 

"कि मैं शिव की हूँ

और शिव मेरे हैं", 

शिव के अतिरिक्त 

न मेरा कोई भाव है, 

न कोई भव्यता । 

 

नारी को पुरुषार्थ से प्राप्त करना 

आसुरी वृत्ति है

और कृपा से प्राप्त करना 

शिव दृष्टि है। 

नारी का स्वातंत्र्य 

तभी सिद्ध होगा, 

जब वह शिवार्पित होगी। 

नारी शक्ति 

किसी अनुग्रह की मोहताज नहीं। 

नारी शक्ति 

स्वयं सिद्ध है, 

क्योंकि वह शिव-शक्ति है। 

शिव स्वयं सिद्ध हैं, 

क्योंकि उनके जीवन में

शक्ति का कोई विकल्प नहीं है।


    ~मनोज श्रीवास्तव

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