शिक्षक
शिक्षक
@मानव
गुरु या शिक्षक
प्रकाश का स्रोत,
जो ज्ञान-दीप्ति से
अज्ञान - आवरण को
दूर कर
जीवन को
सही मार्ग पर
ले चलता है।
उसका स्थान
सर्वोपरि है।
वह साक्षात
परब्रह्म है।
ज्ञान के प्रति
निष्ठावान श्रेष्ठ
मनुष्य-निर्माण
उसका दायित्व है।
सम-विषम परिस्थितियाँ
जीवन का अंग हैं।
बहुमुखी ज्ञान,
लोकाचार
और अंतर्मन-शक्ति का
ज्ञान कराना,
आदर्श जीवन के
मानदण्डों से
अवगत कराना,
विषम परिस्थिति के
विचलन को रोकना
योग्य शिक्षक का
दायित्व है ।
आदर्श शिक्षक
क्षण भर के लिए भी
शिष्य सान्निध्य में आए
तो अपने सत् आचरण का
प्रत्यारोपण
शिष्य में कर देता है।
~मनोज श्रीवास्तव
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