विजयादशमी
पावन दशहरा पर्व की शुभकामनाएँ
विजयादशमी
@मानव
(१)
पुरुषोत्तम राम की
अभिमानी रावण पर
विजय की कहानी
अतीत की अमरकथा ही नहीं
असत्य पर सत्य की,
तमस पर प्रकाश की,
निशाचरी प्रवृत्ति पर
सतोगुणी आचरण की
विजय गाथा भी है,
जो वर्तमान के उत्तर लिखती
भविष्य की दिशा सूचक है।
विजयादशमी पर्व
मानव सभ्यता में
नव श्रद्धा,
नव विश्वास
और नवचेतना का
संचार करता है,
जो मानव को मानव बनाता है।
वह मानव,
जिसके आदर्श राम हैं।
वह राम,
रामराज जिनका कर्म प्रतिनिधि है,
वह रामराज
जिसका आदर्श मानवता है।
राम की विजय गाथा
मनुष्य के सामर्थ्य को
सर्वोच्च शिखर पर
स्थापित करती है,
जहाँ मनुष्य रूप में आकर
ईश्वर तमोगुणी विस्तार को
नष्ट कर रामराज स्थापित करता है।
(२)
माया सृष्टि विस्तारक है,
जो सत-रज-तम
गुण-अवगुण साधती है।
दर्शन शास्त्र में,
सृष्टि महाभ्रम है
पर भारतीय संस्कृति में
माया आदिशक्ति है,
जिसका अस्तित्व
श्रद्धा भाजन है।
तमोगुण से प्रकट
'मायावी' तमोवृत्ति
शुभ के विरुद्ध
स्थित व सन्नद्ध है,
रावण उसका प्रतिनिधि है
जिसके विनाश हेतु
स्वयं ईश्वर अवतरित होते हैं।
~मनोज श्रीवास्तव
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