दाम्पत्य-सूत्र
दाम्पत्य-सूत्र
@मानव
गृहस्थ जीवन
मानवता के विकास की
उर्वरा शक्ति है,
जो गृहणी के
आदर्श मूल्यों पर
आश्रित है।
यदि स्त्री का मनोबल
जीवन साथी के लिए
परिपूर्ण है
पुरुष कभी निराश
व पराजित नहीं होगा,
जो मानवता का
दिग्दर्शक होगा।
नारी की संवेदनशील भावनाएं
पुरुष की अग्रसर बनें
तो विजय श्री का वरण
सुनिश्चित है।
स्त्री का समर्पण
पुरुष को कठिनाई से
सुरक्षित निकालता है,
आपसी अटूट विश्वास
जीवन चक्र को
तीव्र गति प्रदाता है,
बाधा व समस्या का
शामक है।
अर्थशास्त्र,दम्पति के
सत्य एवं धर्म संबंधों का
सोद्देश्य विस्तार है।
संसार का विकास
पति-पत्नी के
जीवित मूल संबंध पर
अवलंबित है।
सफलता का
प्राथमिक मापदण्ड
स्त्री की सहभागिता है
जो स्त्री के स्वत्व का
परिणाम है।
(पुरुष के अहम अथवा
हठवादिता का नहीं)
पति पत्नी संबंध से
सुदृढ नव-संसार
निर्मित होगा,
मानवता समृद्ध होगी,
आध्यात्मिक जीवन का
सूत्रपात होगा,
सुख-शांति
एवं कल्याण की
कल्पना साकार होगी,
राष्ट्र का निर्माण
दाम्पत्ति के
सदाचरण वाले
समुदाय से ही संभव है।
~मनोज श्रीवास्तव
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