सन्देश दीपावली का

 सन्देश दीपावली का


       @मानव

यदि चेतना के आंगन पर 

जमे कर्म के कचरे को 

साफ किया जाए, 

उसे संयम से 

सजाया-संवारा जाए,

उसमें आत्मा रूपी दीपक की 

अखंड ज्योति को 

प्रज्वलित किया जाए 

तो मनुष्य शाश्वत सुख, 

शांति एवं आनंद को 

प्राप्त कर सकता है।

जीवन का वास्तविक प्रकाश

मनुष्य में व्याप्त 

उसके आत्मिक गुणों के 

माध्यम से ही 

प्रकट हो सकता है।

 

जीवन की सार्थकता 

और उसके उजालों का मूलाधार 

व्यक्ति के वे गुण हैं 

जो उसे मानवीय बनाते हैं, 

जिन्हें संवेदना 

और करुणा के रूप में, 

दया, 

सेवा-भावना 

और परोपकार के रूप में 

हम देखते हैं। 

इन्हीं गुणों के आधार पर 

मनुष्य अपने जीवन को 

सार्थक बनाता है। 

इन गुणों की उपस्थिति से 

गरिमा चिरंजीवी रहती है।  

जिस तरह दीप से दीप जलता है, 

वैसे ही प्रेम देने से 

प्रेम बढ़ता है

यही वास्तविक प्रकाश का 

निमित्त बनता है।

यही दीपोत्सव का

निहितार्थ है।


   ~मनोज श्रीवास्तव

Comments

Popular posts from this blog

रामकथा

'सीतायाः चरितं महत्'

आत्मा की समृद्धि का पर्व