ऊर्जा स्वरूप दुर्गा
नवरात्रि पर्व पर विशेष
ऊर्जा स्वरूप दुर्गा
@मानव
ऋषि परंपरा ने
पंचमहाभूत में
देव-कल्पना की;
पृथ्वी को
जननी के अर्थ में
अनुभव किया;
ऋग्वेद ने
भूदेवी की आवधारणा से
"माता भूमि:
पुत्रो अहम् पृथिव्या:" का
उद्घोष किया।
पृथ्वी पर
जीवन का कारण
नारी की शक्ति होने से
नवदुर्गा देवी की परिकल्पना
साकार हुई।
समस्त देव-शक्तियों का संचयन
जगदम्बा है।
यहीं शक्ति के
सर्वोत्तम स्वरूप में
नारी की परिकल्पना है।
स्त्रीलिंग बोधक 'इ' से परे
'शिव' भी 'शव' है,
नारी शक्ति से युत ही
शिव के प्रबल रूप की स्थापना है,
माँ अम्बा की प्रतिष्ठा है।
देवी दुर्गा में
करुणा व पोषण विषयक
मातृत्व-भाव का चरम है,
तो विनाश की सहज शक्ति भी।
ऊर्जा के ऊर्ध्व रूप से
ऊर्जा की विविध अवधारणा
नवदुर्गा के रूप में
व्याख्यायित होती है।
सांस्कृतिक दृष्टि से
हम नारी को
विलक्षण शक्ति-पुंज सपन्न मानते रहे,
क्योंकि शक्ति स्वयं में रहस्यमयी है।
और रात्र भी रहस्य भरी है
तन्त्र विज्ञान की
चौसठ योगिनियाँ
नारी शक्ति के
रहस्यमयता की प्रतिनिधि हैं।
~ मनोज श्रीवास्तव
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