रासरात्रि शरद पूर्णिमा

 शरद पूर्णिमा पर विशेष

रासरात्रि शरद पूर्णिमा


      @मानव

चन्द्रमा

और उसकी उज्जवल चन्द्रिका के

माधुर्य व आनन्द की अनुभूति 

शरद पूर्णिमा का अवसर है, 

यह भक्ति व प्रेम के 

रस का समुद्र है,

यही जीवात्मा व परमात्मा के 

रास-रस का आनंद है।


इसी पीयूष वर्षिणी रात्रि को 

लोक विमोहिनी वंशी बजाकर 

श्रीधाम वृंदावन के

वंशीवट क्षेत्र में

ब्रज गोपिकाओं के साथ 

नटवर कृष्ण की 

महारास लीला ने

जग को सन्देश सौंपा-


श्रीकृष्ण आत्मा हैं, 

आत्मा की वृत्ति श्री राधा हैं,

आत्माभिमुख वृत्तियाँ गोपियाँ हैं,

इन सब का निरंतर आत्मरमण 

"महारास" है।


रसमयी व सच्चिदानंदमयी 

गोपिकाओं का 

सब छोडकर 

ईश्वर के पास जाना 

धर्म,अर्थ और काम का त्याग है।

ईश्वर से एकाकार होने का

इच्छुक जीव

अभिमान त्यागकर

परम तत्व कृष्ण से जुड़े 

तो जीवन में प्रेम व भक्ति के 

चन्द्रमा का उदय निश्चित है।


शरद पूनम की रात 

चन्द्रमा स्व-पूर्ण कलाओं के साथ

पृथ्वी पर शीतलता,

पोषक शक्ति

एवं शान्तिपूर्ण अमृत वर्षा से

जन-जन को आरोग्यता,

दीर्घजीवन

व अप्रतिम शान्ति

प्रदान करता है।


  ~मनोज श्रीवास्तव

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