मौनाभिव्यक्ति

 मौनी अमावस्या हेतु विशेष

मौनाभिव्यक्ति 



       @मानव

शब्दों का मुख्य उद्देश्य

मौन उत्पन्न करना है।


शब्द अधिक शोर 

मचाते हैं यदि,

तो वे स्वलक्ष्य तक 

नहीं पहुँचते।


मौन जीवन का स्रोत है,

मौन जितना दृढ होगा

उससे उठने वाले प्रश्न

उतने ही प्रबल होंगे।


"हम" कोई नहीं हैं,

हम इस ब्रह्माण्ड में 

नगण्य हैं;

'कुछ' से 'कुछ नहीं'

बनने का यही पाठ

पढ़ाता है मौन !


संसार में दुःख है

यह पहला सत्य है 

जो परित: दुनिया में

दूसरों के दुःख जानकर

अथवा स्वयं अनुभवकर

जाना जा सकता है।


दूसरा सत्य है-

हर दुःख का 

कोई न कोई कारण अवश्य है। 

तीसरा सत्य बताता है

दुख को दूर करना संभव है।

जबकि चौथा सत्य है 

दुःख से बाहर निकलने का मार्ग है। 


अत: स्ववास्तविक स्वरूप का

निरीक्षण अपेक्षित है। 


हमारा वास्तविक स्वरूप

शांति, करुणा, 

प्रेम, मित्रता 

और आनंद है।


यह मौन ही है

जो इन सबको 

जन्म देता है

यह मौन ही है

जो उदासी, ग्लानि, दुःख का

शमन करता है

और आनंद,करुणा 

व प्रेम को उपजाता है।

इस प्रकार प्रत्येक दुःख का

सागर पार हो सकता है।


  ~मनोज श्रीवास्तव

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