श्रीरामवल्लभा

 सीता जयंती(फाल्गुन कृष्ण पक्ष अष्टमी)पर विशेष,

श्रीरामवल्लभा



      @मानव

श्रीराम की वामांगी, 

भूमिजा,

शक्तिस्वरूपा,

साक्षात् महाशक्तिरूपा,

जगज्जननी सीता,

क्लेशों का दमन करने वाली

लोक कल्याण अधिष्ठात्री हैं।


भीषण अकाल से

प्रजा को मुक्त कराने के लिए

राजा जनक द्वारा,

"सीत" का ग्रहण करना

उस मूल भारतीय कृषिकर्म का

जीवंत उपादान है 

जिसका अवगाहन

बिना हल के

धनधान्य और लक्ष्मी की प्राप्ति

संभव न होने का संदेश देता है।


इसीलिए मैथिली

श्रम और लोकरक्षण की 

प्रबल भावना

व औदार्य की देवी हैं

जो श्रीराम के जीवन में

आए संकटों में 

निर्भीकता के साथ

सहगागिनी रहकर

उनकी आह्लादिनी शक्ति बनीं। 


गिरा अरथ जल बीचि सम, 

कहियत भिन्न न भिन्न 

बंदउँ सीता रामपद 

जिन्हहि परम प्रिय खिन्न । 

  (तुलसीकृत रामचरित मानस)


शब्दार्थ-

सीत - हल (मैथिली में)

गिरा- वाणी

बीचि - लहर

 ~मनोज श्रीवास्तव

Comments

Popular posts from this blog

रामकथा

'सीतायाः चरितं महत्'

आत्मा की समृद्धि का पर्व