खुशी सक्रिय प्रक्रिया

 अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस

(20 मार्च)पर विशेष

खुशी सक्रिय प्रक्रिया

       @मानव

जीवन की सुंदरता का पैमाना है,

कि हम कितने खुश हैं।

मानव जाति की प्रगति 

आर्थिक विकास को

प्रोत्साहित करने में नहीं 

वरन् खुशी में छुपी है,

यह खुशी तब मिलेगी 

जब यह हमारे भीतर घटित होगी ।


खुशी कोई अवस्था नहीं है 

यह तो सक्रिय प्रक्रिया है, 

हम अच्छा सोचें

और इसे बरकरार भी रख पाएं

तो हम सबसे खुशहाल हैं।


जब हम ब्रह्माण्ड की 

सकारात्मक ऊर्जा से

एकाकार होते हैं 

तो हमें खुशी नसीब होती है।


खुशमिजाज प्राणी में

स्वयं का रूपान्तरण करते ही

खुशियाँ न्यौछावर हो जाएंगी।


भंवरे का गुंजन, 

पक्षियों का कलरव,

बच्चों की किलकारी, 

मासूम हँसी, 

बारिश की बूँद के कारण, 

धरती से उठती सौंधी खुशबू, 

ठंडी बयार 

इन सामान्य चीजों में ही 

खुशी की तलाश छुपी है।

यदि ये स्वाभाविक चीजें

हमें अहलादित नहीं कर पाएं

तो मन पर दबाव 

बडी ख़ुशी पाने का है।


बीमारी मुक्त,

स्वस्थ और खुशहाल दुनिया के लिए 

खुशी जरूरी है।


धर्मग्रंथ निरूपित शिक्षाएं 

अच्छे आचरण करो,

धर्म पर चलो,

कर्म शुभ हो,

खुश रहने का ही तरीका हैं।

हम खुश रहेंगे

तभी बेहतर 

कार्य निष्पादन कर सकेंगे।

 ~मनोज श्रीवास्तव

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