नवसंवत्सर

 नूतन वर्ष की मङ्गलकामनाएं

नवसंवत्सर


      @मानव

नवसंवत्सर के आगमन पर

प्रकृति नूतन श्रृंगार में निमग्न है 

जिससे वह नवीनता की ओर अग्रसर है। 


वृक्षों पर नवीन कोपलें,

खेतों में लहलहाती सरसों, 

झूमती गेहूं की बालियाँ,

मदमाती अमराइयों में बौर, 

बगीचों में आकर्षित करते सुमन,

व शीतल बयार का स्पर्श 

सुखद अहसास देता है।


इसी तिथि पर

जगत रचयिता ब्रह्मा जी ने 

परमात्मा की इच्छा

एको अहं बहुस्यामः को

साकार करने के लिए

सृष्टि की रचना की।

             (ब्रह्म पुराण)


नवसंवत्सर

हमारी गौरवशाली

और अविस्मरणीय 

ऐतिहासिक-सांस्कृतिक स्मृतियों से

जोड़ने की कड़ी है।


अपनी संस्कृति से प्रेरणा लेकर,

उसके संवर्धन 

एवं संरक्षण की दिशा में 

संकल्प का अवसर भी 

हमें यह दिवस प्रदान करता है।


 ~मनोज श्रीवास्तव

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