सुख-धाम राम
श्री राम नवमी पर विशेष
सुख-धाम राम
@मानव
जो भूत हैं, भविष्य भी
वही तो वर्तमान राम हैं
वर्तमान का सदुपयोग करना ही
हमारी आस्तिकता है;
वही राम की पूजा है।
राम जन्मोत्सव
प्रतिवर्ष मनाने का तात्पर्य
राम को वर्तमान बनाए रखना है।
अतीत को
वर्तमान करने का सामर्थ्य
केवल ईश्वर में है
जो हर काल में
प्रत्येक जन को
मधुर लीलाओं से
सुख प्रदान कर सके,
जो रो भी सके,
हँस भी सके,
छोटा भी हो जाए,
पग में ब्रह्माण्ड नाप ले।
भगवान ने जन्म लेकर
माताओं को सुख दिया;
पिता दशरथ को
ज्ञान विषयक ब्रह्मानंद
व भक्तिविषयक परमानंद
सुख प्रदान किया;
ज्ञानी और भक्त दोनों को
आनंद प्रदान करने का सामर्थ्य
केवल राम में है।
राम जन्म की सूचना से
व्यक्ति की सुखानुभूति
घर घर बधावे से प्रकटी
जो प्रकृति तक पहुँच गई,
सरयू जल बढ़ने लगा,
वृक्षों में फल आ गए,
सरोवर भर गए,
ऋतु वातानुकूलित हो गई।
राम का स्वरूप
कौशल्या रूपी पूर्व दिशा से
उदित होकर
सारे संसार को
प्रकाशित करने वाला हो गया।
गुरु वशिष्ठ ने राम को
आनंद, सुख और विश्राम से जोड़ा,
जो प्राणि मात्र का अभीष्ट है;
पर एक साथ सबको संतुष्ट करना
राम की व्यापकता है।
हरि व्यापक सर्वत्र समाना
प्रेम ते प्रकट होंहि मैं जाना।
(गोस्वामी तुलसीदास)
ईश्वर का वास्तविक रूप प्रेम ही है ।
जो आनंद सिंधु सुखरासी
सीकर ते त्रैलोक सुपासी
जो सुखधाम राम अस नामा
अखिल लोक दायक विश्रामा ॥
(रा.च. मानस)
अपने भगवान से
निजत्व जोड़ लेना
तुलसी-अभीष्ट है।
इसीलिए राम
स्वयं ही लोकाराधक हैं।
~मनोज श्रीवास्तव
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