पूर्ण राम

 पावन श्री रामनवमी पर

पूर्ण राम



      @मानव

जो भव सागर पार कराता हो 

वह गंगा पार करने के लिए

नाव माँगे;

जो संकल्प से 

रावण मार सकता हो,

वह विभीषण से

रावण - विनाश का उपाय पूँछे;

सर्वज्ञ होते हुए भी

सीता खोज के लिए 

वानर सेना की मदद ले;

विज्ञ होकर भी

अज्ञ बनकर 

जड़ पदार्थों से

सीता का पता पूँछे

वो ही पूर्ण राम हैं। 


ईशावास्योपनिषद्

परमात्मा की उपस्थिति की

व्याप्ति दर्शाता है; 

शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत

सर्वम् खल्विदम् ब्रह्म

प्रतिपादित करता है;

सर्वव्यापी ब्रह्म,

ईश्वर या परमात्मा की संकल्पना 

जीवन जीने के लिए

सुदृढ़ आधार प्रदान करती है;

जगत को सीय राममय कहकर 

यही भावाभिव्यक्ति

तुलसीदास की है,

जगत में चहुँ-ओर 

राम को देखना 

जिनके भक्ति की पराकाष्ठा है। 


श्रीराम सत्य, 

तप,

तितिक्षा,

संतोष,

धैर्य 

और धर्मपरायणता की 

प्रतिमूर्ति है।

श्री राम का भाव 

पर दुखकातरता के साथ 

प्रतिष्ठित है। 


राम को समदर्शी,

दीनबंधु,

भक्तवत्सल

और करुणाकर आदि कहा गया है।

राम सबके है,

और सबमें उपस्थित है। 

लोकमानस में राम की व्याप्ति

सर्व और सर्वोदय की संकल्पना है

जिससे सर्वे भवन्तु सुखिन: की 

कामना फलवती होगी,

राम राज्य का संकल्प

पूरा होगा।


 ~मनोज श्रीवास्तव

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