गङ्गा केवल नदी नहीं
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी,
गङ्गा अवतरण दिवस पर विशेष,
गङ्गा केवल नदी नहीं
@मानव
गङ्गा
महनीय एवं अलौकिक
ईश्वरीय द्रव वाली
मोक्षदायिनी
और पवित्रतम नदी
जो मात्र नदी नहीं
अपितु अमृतत्व का प्रवाह है।
गङ्गा त्रय योग सिद्धि कारक है
जो ब्रह्म कमंडल से निकलकर
ज्ञानयोग,
विष्णु चरण स्पर्श करते हुए
भक्तियोग,
शिव जटा से धरा-धाम पर
अवतरित हो
वैराग्य योग
सिद्ध करती है।
गंगा का अवतरण
पूर्वजों के असीम श्रम साधन का
ही परिणाम है,
जो मर्त्य लोक में
पतितों के उद्धार का
माध्यम बनी।
तभी तो
गंगा में अस्थि प्रवाहन से
भोग,भाग्य और मुक्ति से
हम निश्चिंत हो जाते हैं।
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को
दस दिव्य योगों में
माँ गङ्गा का
धरा पर अवतरण
तीन दैहिक,
चार वाणी जनित
व तीन मानसिक,
कुल दस पापों का
क्षरण करती है।
गंगा स्नान से
अक्षय और अनंत फलश्रुति,
व पितरों को
अक्षय तृप्ति की
प्राप्ति होती है;
और सकल देव सत्ता
हमारे अनुकूल हो जाती है;
गंगा का स्मरण,
पूजन और संस्पर्श से
हमारे देवता और पितृ
स्वत: तृप्त हो जाते हैं।
~मनोज श्रीवास्तव
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