पिता
पितृ दिवस पर विशेष
पिता
@मानव
पिता है बरगद की शीतल छाँव
जो सदा है गंभीर
मन से छुपे लाखों भाव
आँख नीर विहीन ।
अबूझ दुनियावी संघर्ष में
सदा थामे हाथ,
ईश्वर की प्रतिमा
व बच्चों की पहचान बन
हार कर हर सुख,
जो सदा मुस्कराया है;
बच्चों का हर दुःख
जो स्वयं सहता आया है;
पिता की स्मित मुस्कान ने
हमें दुनिया से अभय दिलाया;
शतरंज की यह विजय
दूसरा समझ न पाया।
पिता बिना
सफर एकाकी,
राह सुनसान,
जिंदगी वीरान,
अधूरा संसार,
हर तोहफा लगे बदरंग;
एक दिन मात्र याद करने से
क्या हो पाएगा उनका समुचित सम्मान?
~मनोज श्रीवास्तव
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