कृष्णावतार
कृष्णावतार
@मानव
संपूर्ण कलाओं से युक्त
श्रीकृष्ण ने
अधर्म के नाश के लिए
अवतार लिया
और कर्मयोग की व्याख्या
गीता के माध्यम से
संसार को दी।
मानव जीवन का
सबसे सरल
और सहज मार्ग
उन्होंने दिखाया;
उद्धार और मोक्ष का
पथ भी प्रशस्त किया।
भौतिक तथा आधिभौतिक
सफलताओं का
दिग्दर्शन किया;
प्रेम और भक्ति की
धाराएं पवित्र कीं;
योग का दर्शन
सृजित किया;
ज्ञान की परंपरा को
प्रवर्तित किया;
मनुष्य के आचरण की
संहिता को नवीनीकृत किया;
फिर दुष्टों को
दण्ड देने का कर्तव्य
पुनः निरूपित किया;
शत्रुदमन की मीमांसा रची;
राजधर्म को सीधे
राजयोग से जोड़ा;
दैवीय तत्व को कसौटी पर
परखने का पक्ष स्पष्ट किया,
अवतार के उद्देश्य को सिद्ध करके
धरती पर जीवन से
आत्मसाक्षात्कार कराया;
नीति की प्रयोगशाला
स्थापित की।
योगेश्वर श्रीकृष्ण ने
पृथ्वी पर वात्सल्य की
गङ्गा को अवतरित किया;
प्रेम तत्व को सिखाया;
संघर्षों से राह खोजना
आसान कर दिखाया;
संपूर्ण जीवन के
सभी अंगों में
नई ऊर्जा का स्फुरण किया;
सुख-दुख में समभाव की
अनुभूति का मंत्र दिया;
पग-पग पर कल्याण
एवं लोकहित का पाठ पढ़ाया।
आत्मा के समक्ष
मानव का समर्पण कराया;
यानी समस्त सकारात्मक भाव
दिए,
कुछ भी शेष नहीं रहा;
इससे विवेक का अभ्यास
योग का बौद्धिक कारण
प्रत्यक्ष हुआ;
केवल एक प्रेम तत्व से
संसार को जीतने वाला
दृष्टिकोण भी व्यापक हुआ;
इनसे संसार समृद्ध हुआ ।
श्रीकृष्ण लीलाओं में
जीवन जीने की कला का
भेद निहित है;
यही कृष्णावतार का
रहस्य है;
कृष्णावतार का अनुशीलन
मोक्ष का अवसर है।
✍️मनोज श्रीवास्तव
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