क्षमावाणी पर्व

 क्षमावाणी पर्व



       @मानव

जिन विकारों के कारण

आत्मा संतप्त

क्षुब्ध और चंचल बनी हुई है,

उन्हें शांत कर

आत्मा का पूर्ण रूप से

आत्मभाव में निवास करने का

अवसर है पर्युषण

दशलक्षण पर्व।

यानी अपने शुद्ध स्वरूप का

चिंतन-मनन कर

आत्माभिमुख हो

आत्मानुभव में तल्लीन हो जाना।

यह धर्म के दस अंगों को 

आत्मसात करने का पर्व है।

जिसमें प्रयास रहता है

कि आत्मा मोक्षगामी बने। 

सारे विकारों के जनक क्रोध को

क्षमा ही शांत करती है।

इसीलिए पर्व का आरंभ 

क्षमा धर्म से होकर

समापन क्षमावाणी पर्व से होता है।


 ✍️मनोज श्रीवास्तव

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