शिल्पदेव

 शिल्पदेव



       @मानव

शिल्प-विद्या के प्रवर्तक 

निर्माण और सृजन के आराध्य

भगवान विश्वकर्मा ने ही 

शिल्प और कला के जरिये 

सृष्टि को खूबसूरती दी। 


किसी अनगढ़ वस्तु को 

आकर्षक बनाने वाला शिल्पकार

प्रत्यक्षतः हाथों का प्रयोग करता है

पर मस्तिष्क के निर्देश से,

अतः मस्तिष्क को सशक्त बनाने का

प्रयत्न आवश्यक है।


पूरी आकृति देने के पहले 

शिल्पकार को आलस्य

नहीं करना चाहिए;

इनमें संतुलन बनाने से

वह शारीरिक रूप से ही नहीं,

बल्कि मानसिक रूप से भी

सक्षम होता है।


भौतिक-समृद्ध व्यक्ति का सम्मान

उसके अपने ही क्षेत्र में होता है।

जबकि मस्तिष्क से समृद्ध व्यक्ति का

सर्वत्र होता है;

विद्वान और राजा की तुलना

नहीं की जा सकती है। 


विद्वान सुगंधयुक्त पुष्प है,

जो जहाँ जाता है

ज्ञान की सुगंध बिखेरता है;

अतः जीवन में आकर्षक शिल्प

और कला के लिए

भगवान विश्वकर्मा प्रेरक हैं।


 ✍️मनोज श्रीवास्तव

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