वंदन!प्रथम पूज्य!

 वंदन!प्रथम पूज्य!



       @मानव

भारतीय संस्कृति में प्रथम पूज्य

और सर्व सुलभ देवता,

शिव गणप्रमुख के आह्वान

और मंगल उपस्थिति बिना

"श्रीगणेश"संभव ही नहीं है।


गणपति गजानन का

सौम्य स्वरूप ऐसा है

जो दर्शन करने वाले को 

मंगल और आनंद की 

अनुभूति कराता है।


हमारी सनातन संस्कृति 

सबको एक सूत्र से 

बाँधने-जोड़ने वाली है,

ब्रिटिश गुलामी और मुगलों समेत

विदेशी आक्रमणकारियों की प्रताड़ना से

कम हुए जन मनोबल को 

ऊपर लाने के लिए  

लोकमान्य तिलक ने 

देशवासियों की एकता 

और सामूहिक आत्मबल बढ़ाने के लिए

गणेशोत्सव को धूमधाम से 

मनाने की शुरुआत पुणे में की।


गणपति पंडाल, 

पूजा-आरती और विसर्जन में

सभी लोग बिना भेदभाव 

सम्मिलित हुए

और राष्ट्रीय एकता के

प्रतीक बन गए गणपति बप्पा!


विघ्नविनाशक गणेश

शरणदाता देव हैं,

जो लोक के

सबसे बड़े देव कहलाते हैं,

सरल इतने

कि चाहे जो रूप दे दो

बुरा नहीं मानते,

इनकी पूजा भी

बड़ी सहज सरल होती है;

यह उनकी सरलता ही है 

कि घरों-मोहल्लों-मंदिरों 

और सार्वजनिक स्थानों पर

गणपति विराजते हैं

और सबको आशीष देते हैं।


गणेश जी इंद्रियों के भी स्वामी हैं;

हम सबके भीतर की 

आसुरी प्रवृत्तियों पर 

नियंत्रण रखते हैं 

विघ्न विनाशक!


आदिदेव महादेव

और आदिशक्ति गौरी का 

पुत्र होने के कारण

गणेश जी आदर्श संतान के भी

मंगल प्रतीक हैं।


उनके द्वारा प्रतिष्ठित सिद्धांत है

कि संतान के लिए 

माता-पिता की सेवा ही 

उसका सर्वोच्च धर्म है।


 ✍️मनोज श्रीवास्तव

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