आदि शक्ति
आदि शक्ति
@मानव
दुर्गा हमें ऊर्जा प्रदान करती हैं।
ऊर्जा से हम अपनी खोज करें,
दूसरों से प्यार करें
और जहाँ तक हमारी पहुँच हो,
हम दुनिया की सेवा करें।
शक्ति आराधना हम इसलिए करें
ताकि हममें शक्ति प्रकट हो
विश्व मंगल के लिए,
विश्व के सुख के लिए।
माँ शक्ति से प्रार्थना है
कि सबका विकास हो,
सब को विश्राम मिले।
विश्राम के बिना
विकास का कोई मूल्य नहीं है।
नवरात्र पूजा तब होगी
जब घर में नवजात बेटी का
स्वागत हो,
दहेज से मुक्ति हो,
स्त्री का किसी भी स्तर पर
किसी भी तरह से
अपमान न होने पाए।
जगत के मूल में आदिशक्ति हैं,
मगर वे अक्सर समझ में नहीं आती,
माँ तभी समझ में आती है,
जब हम बच्चे बन जाते हैं;
अत: भक्ति में
शिशु-भाव होना चाहिए।
(तुलसीदास)
विश्व का एकाक्षर मंत्र ‘माँ’ है,
हमारी चेतना जब बहिर्मुख होती है,
तब वह बुद्धि है;
वही चेतना जब अंतर्मुखी बनती है
तब वह श्रद्धा है।
हम विविध होते हुए भी एक हैं,
ऐसा भाव रखना भी
देवी पूजा के समान ही है;
गणेश विवेक का प्रतीक हैं,
कार्तिकेय पुरुषार्थ के;
हमारे अंदर विवेक
और पुरुषार्थ होगा
तो हम भी अंबा की ही
संतान कहलाएंगे।
राम कथा स्वयं कालिका है,
श्रोता भी भवानी है,
कथा का नायक भी
सत कोटि दुर्गासम है
और सुनाने वाले शिव भी
आधे दुर्गा ही हैं;
बिना दुर्गा के
रामकथा नहीं हो सकती।
प्रजा पोषण के लिए
माँ जैसी भावना जरूरी है;
इसीलिए हमारे राष्ट्र को
भारत माता कहा गया है;
भारत दुनिया का ऐसा देश है
जिसे माँ कहा गया है;
अतः माँ जैसी भावना से ही
प्रजा का पालन सँभव है।
✒️मनोज श्रीवास्तव
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