शक्ति की उपासना

 शक्ति की उपासना



        @मानव

शक्ति की उपासना

भगवान भी करते हैं,

देवता भी करते हैं

और संत महात्मा भी करते हैं।


शक्ति की पूजा अर्चना

सभी मानव करते हैं,

सभी विवेकवान करते हैं,

सभी बुद्धिमान करते हैं

और सभी चरित्रवान करते हैं।


शक्ति की आराधना

सैनिक करते हैं,

सेनानायक करते हैं,

व्यापारी करते हैं,

श्रमिक करते हैं,

छात्र करते हैं

और राष्ट्रभक्त करते हैं।


शक्ति की भक्ति में

प्रकृति का अभिनंदन है, 

नमन है

और स्वागत है।


शक्ति की स्तुति से

मानव जीवन का कल्याण पथ

प्रशस्त होता है;

शक्ति का रहस्य गहरा है,

जिसकी थाह नहीं है।


शक्ति वस्तुतः माँ स्वरूपा है;

प्रकृति माँ

चराचर जगत की सृजक है,

तो मातृशक्ति

जीव की सर्जना है;

इसलिए परमेश्वरी भी

परमेश्वर की शक्ति है।


मानव के अंदर

शक्ति का प्रवाह होता है,

वहीं शरीर के बाहर

शक्ति का संचालन होता है;

शक्ति के प्रवाह

और संचालन का केंद्र

हमारी आत्मा है,

जो परमात्मा का अंश है।


जो शक्ति को नहीं पूजता,

वह मृतक के समान है;

अतः जीवन-शक्ति को धारण करना

मानव का परम कर्तव्य है।


प्राणी मात्र शक्ति के स्रोत,

ऊर्जा के उद्गम

और चेतना के प्रवाह से स्थिर है;

शक्ति की उपस्थिति से ही

धरती पर जीवन का अस्तित्व है।


शक्ति है तो हम हैं,

यह जगत है,

सूर्य,चंद्र और तारामंडल है;

कृषि,जीविका,धन,संपत्ति,

स्वास्थ्य और विद्या का हर अंश

शक्ति का रूपांतरण ही है।


संपूर्ण सकारात्मक कर्मभूमि में

शक्ति का केंद्र रहता है,

जो योग रूप में प्रगट होता है,

माया भी शक्ति की ही छाया है

और काया शक्ति की दाया मानिए।


जब ज्ञान रूपेण माता समक्ष हों,

तब कुछ भी रहस्यमय नहीं है;

यह लोक परलोक

शक्ति का दर्शन है;

शक्ति के माता रूप को

भजने से मानव को

सिद्धि प्राप्त होगी।


 ✍️मनोज श्रीवास्तव

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