दुर्गा महिमा

 दुर्गा महिमा


       @मानव

देवाधिदेव महादेव भी

जिस शक्ति से अनुप्राणित होते हैं

और जिसके बिना स्पंदनाहीन होते हैं,

वह परम शक्ति भगवती दुर्गा हैं,

जो सबसे ऊपर हैं;

उनके बिना शिव भी निःशक्त हैं।


जो अपने अंगों में

चिता की राख-भभूत

लपेटे रहते हैं, 

जिनका विष ही भोजन है, 

जो दिगम्बरधारी हैं, 

मस्तक पर जटा

और कण्ठ में नागराज वासुकि को

हार के रूपमें धारण करते हैं 

जिनके हाथ में कपाल शोभित है,

ऐसे भूतनाथ पशुपति भी

जो एकमात्र 'जगदीश' की 

पदवी धारण करते हैं,

यह केवल दुर्गा से

पाणिग्रहण की परिपाटी का फल है;

जिससे उनका महत्त्व बढ़ गया।


भगवान विष्णु भी

उन आद्या शक्ति देवी के 

अधीन कार्य करते हैं,

जो भुवनेश्वरी हैं

और त्रिभुवन संचालन करती हैं।


भगवान श्रीराम ने भी

रावण विजय के लिए

देवी दुर्गा का पूजनकर 

सफलता अर्जित की थी।


माँ के नाना रूप,भेद, 

वर्गीकरण और ध्यान मुद्राएँ हैं,

जिनके सम्यक वर्णन की क्षमता

शेष और शारदा में भी नहीं है;

उन अनेक रूपा

एक भगवती दुर्गा की

महिमा अपरंपार है।


 ✒️मनोज श्रीवास्तव

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