शस्त्रधारी श्रीराम
शस्त्रधारी श्रीराम
@मानव
त्रेतायुग में जगदंबा ने
उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया
और द्वापर में श्रीकृष्ण ने
रणभूमि में दोहराया
'शस्त्रधारियों में मैं श्रीराम हूँ'।
यानी प्रभु श्रीराम से बड़ा
कोई शस्त्रधारी नहीं था।
चारों युग में अद्भुत-दिव्य हैं
शस्त्रधारी श्रीराम,
समकालीन हों अथवा भक्त,
सभी एक ही बात कहते हैं,
'राम रमापति कर धनु लेहू.....
प्रभु श्रीराम,
जो दया के सिंधु
तथा क्षमाशील हैं,
समुद्र की तरह गंभीर
एवं हिमालय की तरह धैर्यवान हैं,
वे सज्जनों की रक्षा के लिए
कृत संकल्पित हैं;
इसीलिए शस्त्र धारण करते हैं।
शस्त्र ही उनकी मूल पहचान है।
श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम
और सनातन राष्ट्र के पर्याय हैं;
शास्त्रों में कहा गया है,
शस्त्रों द्वारा सुरक्षित राष्ट्र में ही
चिंतन-मनन,तप,स्वाध्याय समेत
शास्त्र का चिंतन मनन सँभव है।
('शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे
शास्त्र चिंता प्रवर्तते')
निशिचर हीन करौं महि
भुज उठाय प्रण कीन्ह
वाली प्रतिज्ञा की चरितार्थता
अस्त्र शस्त्र बिना असंभव है
तभी तो तुलसी के राम प्रणम्य हैं
नमामि रामम् रघुवंश नाथम्।
✒️मनोज श्रीवास्तव
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