देवर्षि नारद
नारद जयंती पर
देवर्षि नारद
@मानव
ब्रह्मा जी के छह पुत्रों में से एक
नारद जी ने
कठिन तप-साधना के बाद
देवर्षि की उपाधि प्राप्त की;
तपोबल से ही
वे भगवान के मन में
उठने वाले विचारों को
समझ जाया करते हैं;
इसीलिए वे
भगवान का मन कहलाते हैं।
उन्होंने प्रत्येक युग में
घूम-घूम कर
ईश्वर के प्रति
भक्ति भाव जगाया है।
वे भूत,वर्तमान और भविष्य,
तीनों कालों के ज्ञाता हैं;
जो धर्म के प्रचार
तथा लोक- कल्याण हेतु
सदैव प्रयत्नशील रहते हैं;
अतः सभी युर्गों में,
सभी लोकों में,
समस्त विद्याओं में,
समाज के सभी वर्गों में
नारद जी महत्वपूर्ण हैं।
देवर्षि नारद
भक्ति के प्रधान आचार्य हैं;
उनके रचित भक्ति सूत्रों में
भक्ति तत्वों की
बड़ी सुंदर व्याख्या है।
देवर्षि नारद सभी वेदों के ज्ञाता,
इतिहास और पुराणों के मर्मज्ञ,
भूत,वर्तमान और भविष्य की
जानकारी रखने वाले,
प्रखर वक्ता,
नीतिज्ञ,
ज्ञानी,कवि,संगीतज्ञ,
शंकाओं का समाधान करने वाले
तथा अपार तेजस्वी हैं।
वे ज्ञान के स्वरूप,
विद्या के भंडार,
सदाचार के आधार,
आनंद के सागर
और हर प्राणी के हितकारी हैं।
(महाभारत)
वे ईश्वर के परम प्रिय
और कृपापात्र हैं
उनकी समस्त लोकों में
अबाधित गति है।
धरती पर अन्याय,अत्याचार
और धर्म हानि पर
भगवान के अवतरण हेतु
नारद जी ही
भूमि तैयार करते हैं
और भगवान की लीलाओं में
सहचर की भूमिका निभाते हैं।
तीनों लोकों में
कहीं भी भ्रमण का अधिकार
उन्हें ही प्राप्त है
तभी वे सृष्टि के
प्रथम पत्रकार के रूप में
प्रतिष्ठित हैं।
देवर्षि नारद का कथन है
कि सत्संग
और ईश्वरीय योजनाओं के अनुसार
कार्य करना ही
मनुष्य जीवन की सार्थकता है।
✒️मनोज श्रीवास्तव
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