गणपति जगवन्दन

 गणपति जगवन्दन


            @मानव

'सहस्रन्तु पितृन् माता...' 

माता पिता से सहस्र गुना 

अधिक गौरव रखती है;

पार्वती चराचर की धात्री हैं

उनकी ममता का आलंबन 

बालक गणपति हैं;

नन्हें हेरंब इसे

चरितार्थ भी करते हैं।


समस्त विघ्नों के हर्ता,

माता की आँखों के तारे,

सारे जग के दुलारे,

लंबोदर का बालरूप

हर माता को आनंद से

विह्वल कर देता है

विनायक माता पार्वती की 

समस्त आह्लादकारी ममता का

मूर्तिमान रूप हैं।


"गौरीप्रणयाय गौरीप्रवणाय

गौरभावाय धीमहि"पूजित

नन्हें बालक गजबदन

संस्कारों के आगार हैं,

वे बुद्धिनाथ हैं,

उनकी बुद्धि,समर्पण

और श्रद्धा के समक्ष

कोई भी बल नतमस्तक है; 

तभी तो वे

अभीप्सा कार्यसिद्धि का

प्रथम सोपान हैं।


गणपति के सहस्त्रों नाम हैं

पर उनका किसी भी रूप में होना

अलौकिक दिव्यता का परिचायक है;

भक्त वत्सल विनायक 

आगार हैं बुद्धि विद्या के, 

रिद्धि सिद्धि के,

साथ ही अपरिमेय सामर्थ्य के;

यद्यपि गणपति अनादि अनंत हैं

पर उनके आविर्भाव का दिन

अपूर्व उत्साह से भर देता है। 


आशुतोष के पुत्र वक्रतुंड 

पिता के समान ही

परम संतोषी हैं;

भाव के भूखे,

भक्त वत्सल,

बालकमन गजानन

मोदक से ही संतुष्ट 

व परमानंदित हैं।


प्रथमेश होने के अधिकारी

प्रथम पूजित विघ्नहर्ता

प्रत्येक मांगलिक अवसर पर 

सर्वप्रथम स्मरण किए जाते हैं,

शुभ्रता की मोहक बौछारें 

लेकर आते हैं

अशुभ की आशंका मात्र का 

तत्क्षण शमन कर देते हैं।


 ✒️मनोज श्रीवास्तव

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