मानस


तुलसीदास जयंती पर विशेष
 

मानस


प्रस्तुति-मनोज श्रीवास्तव


तुलसी की मानस में 

स्वाभिमान है,

स्वतंत्रता है

और स्वावलंबन है। 


जीवन में स्वाधीनता 

राम की अधीनता 

स्वीकारे बिना संभव नहीं है।


स्वाभिमान 

अपने अभिमान को 

भगवान के चरणों में 

अर्पण किए बिना  

संभव नहीं है।


स्वावलंबन  

भगवान का 

अबलंबन लेकर ही 

सिद्ध होता है। 


ईश्वर से 

जुड़े बिना 

सारे महाशीर्षक 

अहंकार को ही 

जन्म देते हैं।


~मनोज श्रीवास्तव

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