सर्व भूत हिते रतः
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सर्व भूत हिते रतः @मानव भारतीय सनातन परंपरा में श्रीकृष्ण श्रीविष्णु का नवम् अवतार हैं उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विशालता एवं व्यापकता उन्हें पूर्णावतार बनाती है। श्रीकृष्ण संपूर्ण भारत के पूर्व व पश्चिम को जोड़ते हुए देश के समस्त क्षेत्रों के शासकों के राजनीतिक और सामरिक कौशल एवं क्षमता का एकत्रीकरण करते हैं तथा विश्व के वृहत्तम महायुद्ध के संचालक,सूत्रधार और नायक बनकर धर्म की स्थापना करते हैं। धर्म की ग्लानि होने पर साधुओं के परित्राण के लिए और दुष्टों के विनाश के लिए प्रतिबद्ध होकर समयानुकूल एवं युगानुकूल निर्णय लेने की अद्भुतशक्ति से संपन्न श्रीकृष्ण के आभामंडल के प्रति सामान्य जन के मन में कौतूहल,आकर्षण,अनुरक्ति,श्रद्धा और विश्वास एक साथ प्रकट होते हैं। श्रीकृष्ण वास्तव में भारत की लोक चेतना के सहज स्वर हैं; वे मानवीय शक्तियों के साथ-साथ दुर्बलताओं को सुगमता से स्वीकार करने की प्रतिबद्धता से संयुक्त हैं। वे अनन्य भक्ति से ओतप्रोत व्यक्तियों के योगक्षेम को वहन करने को तत्पर हैं; वे ज्ञानयोग के मर्मज्ञ हैं; वे कर्मयोग के प्र