सा वाग्देवी तु सरस्वती
बसन्त पञ्चमी पर विशेष (१) सा वाग्देवी तु सरस्वती @ मानव परम चेतना, ज्ञान की अधिष्ठात्री, बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका ईश्वरीय शक्ति वाग्देवी भगवती सरस्वती का आविर्भाव दिवस जिनके अनुग्रहों के लिए कृतज्ञता भरा अभिनंदन विद्या जयंती बसन्त पञ्चमी है। माँ के हाथ में शोभित पुस्तक व्यक्ति की भौतिक आध्यात्मिक एवं भौतिक प्रगति हेतु स्वाध्याय की अनिवार्यता का प्रेरक है, स्व ज्ञान वृद्धि का प्रेरक है। इस दिशा में बढ़ने का साहस स्वाध्याय को दैनिक जीवन का अंग बनाने व ज्ञान की गरिमा को समझाने के लिए है । देवी के कर कमलों की वीणा वाद्य से प्रेरणा देती है कि हमारी हृदय रूपी वीणा सदैव झंकृत रहे, हम संगीत व कला प्रेमी बनें, कला पारखी बनें, कला-संरक्षक बनें । भगवती का वाहन मयूर मधुर भाषी है, जो प्रकृति द्वारा कलात्मक सुसज्जित है अभिरुचि परिष्कृत बनाने की प्रेरणा देता है। सर्वत्र विद्या अभिवृद्धि से माँ प्रसन्न होती है जो पशुता से मनुष्यता अज्ञानता से ज्ञान अविवेक से विवेक की ओर बढ़ने का संकल्प है। ( २ ) बसन्त @ मानव बसंत आगमन मधुरता,उल्लास तथा दिव्य स्फूर्त